दुनियाभर के बाजारों में बिकवाली की वजह से सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन घरेलू बाजार में भी भगदड़ मची रही. सपाट शुरुआत के बाद कारोबार के दौरान सेंसेक्स 730 अंक तक टूट गया तो वहीं निफ्टी 205 अंक तक लुढ़क कर 10,740 के नीचे आ गया. सेंसेक्स 689 अंकों की गिरावट के साथ 35,742 के स्तर पर बंद हुआ. हालांकि निफ्टी में थोड़ी रिकवरी देखने को मिली. इसके बावजूद यह इंडेक्स 197 लुढ़क कर 10,754 के स्तर पर बंद हुआ.
कारोबार के दौरान सेंसेक्स और निफ्टी का हाल
कारोबार के दौरान सेंसेक्स फिसलकर 35,694.74 के स्तर पर आ गया वहीं हाई लेवल 36,483.49 रहा. इसके अलावा निफ्टी की बात करें तो इसका लो लेवल 10,738.65 रहा जबकि कारोबार के दौरान यह दिन के 10,963.65 के उच्चतम स्तर पर भी पहुंचा.
दरअसल, दुनियाभर के बाजारों में बिकवाली का माहौल रहा. इसका असर घरेलू बाजार के निवेशकों पर दिखा और भारतीय शेयर मार्केट में बिकवाली बढ़ गई. आईटी, एफएमसीजी, बैंक, ऑटो और फाइनेंशियल सर्विसेज शेयरों में तेज गिरावट रही. सेंसेक्स के टॉप लूजर्स में IOC, मारूति, इंफ्राटेल, UPL और इन्फोसिस शामिल हैं. वहीं, टाटा स्टील, M&M, हिंडाल्को, कोल इंडिया, और टाटा मोटर्स टॉप गेनर्स हैं.
इससे पहले गुरुवार को यूएस फेड की ब्याज दरों में बढ़ोतरी के फैसले के बाद सेंसेक्स में गिरावट दिखी और यह 53 अंक कमजोर होकर 36432 के स्तर पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 8 अंक कमजोर होकर 10959 के स्तर पर रहा.
रुपये का क्या रहा हाल
इन सबके बीच शुक्रवार को रुपये में भी गिरावट रही और यह डॉलर के मुकाबले 2 पैसे घटकर 69.72 के स्तर पर खुला. बता दें कि रुपया कल 70 पैसे की बढ़त के साथ 69.70 के स्तर पर बंद हुआ था.
अयोध्या में विवादित स्थल पर नमाज पढ़ने की इजाजत मांगने से जुड़ी याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है. इतना ही नहीं, कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले संगठन अल-रहमान खिलाफ पांच लाख का जुर्माना लगाया है. अदालत ने साथ ही यह भी कहा की ऐसी याचिकाएं अदालत का वक्त बर्बाद करने और समाज में नफरत फैलाने के मकसद से डाली गई है.
बता दें कि कुछ दिन पहले अल-रहमान नाम के संगठन ने अयोध्या में विवादित स्थल पर मुसलमानों को दी गई जगह पर नमाज पढ़ने की इजाजत मांगी थी. संगठन ने दावा किया था कि विवादित स्थल पर स्थित राम मंदिर पर हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत है. ऐसे में मुसलमानों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी जानी चाहिए. इतना ही नहीं, याचिका में 2010 में अयोध्या मामले पर हाई कोर्ट के फैसले में मुस्लिम पक्षकारों को मिली जमीन का भी हवाला दिया था.
कोर्ट ने अल-रहमान संगठन की याचिका में किए गए सभी दावों को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने संगठन को फटकार लगाते हुए उस पर पांच लाख का जुर्माना लगाया और उसकी कोर्ट के समय खराब करने के लिए सख्त टिप्पणी की है. अल-रहमान संगठन उत्तर प्रदेश के रायबरेली के पते पर रजिस्टर्ड है. संगठन इस्लाम का प्रचार-प्रसार करता है.
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 30 सितंबर, 2010 को 2:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा था कि 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान में बराबर-बराबर बांट दी जाए. इस फैसले को किसी भी पक्ष ने नहीं माना और उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई, 2011 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी थी. हालांकि इस मामले से जुड़ी याचिका पर जनवरी में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.
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